Saturday 24 December 2016

सब अजनबी क्यों हो जाते हैं?


एक पाँच छे. साल का मासूम सा बच्चा अपनी छोटी बहन को लेकर मंदिर के एक तरफ कोने में बैठा हाथ जोडकर भगवान से न जाने क्या मांग रहा था

कपड़े में मेल लगा हुआ था मगर निहायत साफ, उसके नन्हे-नन्हे से गाल आँसूओं से भीग चुके थे।

बहुत लोग उसकी तरफ आकर्षित थे और वह बिल्कुल अनजान अपने भगवान से बातों में लगा हुआ था।

जैसे ही वह उठा एक अजनबी ने बढ़ के उसका नन्हा सा हाथ पकड़ा और पूछा - "क्या मांगा भगवान से"?

उसने कहा - "मेरे पापा मर गए हैं उनके लिए स्वर्गमेरी माँ रोती रहती है उनके लिए सब्रमेरी बहन माँ से कपडे सामान मांगती है उसके लिए पैसे"।

"तुम स्कूल जाते हो"? अजनबी का सवाल स्वाभाविक सा सवाल था।

"हां जाता हूं" उसने कहा।

"किस क्लास में पढ़ते हो ?" अजनबी ने पूछा

"नहीं अंकल पढ़ने नहीं जाता, मां चने बना देती है वह स्कूल के बच्चों को बेचता हूँ, बहुत सारे बच्चे मुझसे चने खरीदते हैं, हमारा यही काम धंधा है" बच्चे का एक एक शब्द मेरी रूह में उतर रहा था ।

"तुम्हारा कोई रिश्तेदार"? न चाहते हुए भी अजनबी बच्चे से पूछ बैठा।

"पता नहीं, माँ कहती है गरीब का कोई रिश्तेदार नहीं होतामाँ झूठ नहीं बोलतीपर अंकलमुझे लगता है मेरी माँ कभी कभी झूठ बोलती हैजब हम खाना खाते हैं हमें देखती रहती हैजब कहता हूँ माँ तुम भी खाओ, तो कहती है मेंने खा लिया था, उस समय लगता है झूठ बोलती है"

"बेटा अगर तुम्हारे घर का खर्च मिल जाय तो पढाई करोगे ?"

"बिल्कुलु नहीं"

"क्यों"

"पढ़ाई करने वाले गरीबों से नफरत करते हैं अंकलहमें किसी पढ़े हुए ने कभी नहीं पूछा - पास से गुजर जाते हैं"

अजनबी हैरान भी था और शर्मिंदा भी। 

फिर उसने कहा, "हर दिन इसी इस मंदिर में आता हूँ, कभी किसी ने नहीं पूछा - यहा सब आने वाले मेरे पिताजी को जानते थे - मगर हमें कोई नहीं जानता, बच्चा जोर-जोर से रोने लगा" अंकल जब बाप मर जाता है तो सब अजनबी क्यों हो जाते हैं?"

मेरे पास इसका कोई जवाब नही था और ना ही मेरे पास बच्चे के सवाल का जवाब है।

ऐसे कितने मासूम होंगे जो हसरतों से घायल हैं। बस एक कोशिश कीजिये और अपने आसपास ऐसे ज़रूरतमंद यतिमो, बेसहाराओ को ढूंढिये और उनकी मदद किजिए

मंदिर मे सीमेंट या अन्न की बोरी देने से पहले अपने आस - पास किसी गरीब को देख लेना शायद उसको आटे की बोरी की ज्यादा जरुरत हो।


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